
मानव अनुवांशिकी: (Human Genetic):- गुणसूत्र (Chromosomes) का नामकरण W.Waltear ने 1888 ईस्वी में किया था।

- गुणसूत्रों में पाए जाने वाले अनुवांशिक पदार्थ को जीनोम कहते हैं। जिन इन्हीं गुणसूत्रों पर पाया जाता है ।
- गुणसूत्रों के बाहर जीन यदि कोशिका द्रव्य के कोशिकाएं में होती है तो उन्हें प्लाजमा जीन कहते है ।
- 1956 ईस्वी में S.Bezar द्वारा जीन की आधुनिक विचारधारा दी गई। इनके अनुसार जीन के कार्य की इकाई Cistron उत्परिवर्तनों की इकाई Muton तथा पुनः संयोजन की इकाई को Recon कहा गया है ।
- मानव में 20 आवश्यक अमीनो acid पाए जाते हैं।
- ऑर्थर koonbargh ने 1962 ईस्वी में DNA polimreze नामक injaem की खोज की, जिसकी सहायता से DNA का संश्लेषण होता है ।
- मानुष्य में लिंग निर्धारण:
- मानुष्य में गुणसूत्रों की संख्या 46 होती है ।प्रत्येक सन्तान को समजात गुणसूत्रों की प्रत्येक जोड़ी का एक गुणसूत्र अंडाणु के द्वारा माता से तथा दूसरा शुक्राणु के द्वारा पिता से प्राप्त होता है । शुक्रजनन (Spermatogenesis) में अर्ध सूत्री विभाजन द्वारा दो प्रकार के शुक्राणु बनते है ।
- आधे वे जिनमें 23th जोड़ी का X गुणसूत्र आता है ,अर्थात (22+X) और आधे वे जिनमें 23th जोड़ी में Y गुणसूत्र जाता है (22+Y)।नारियों में एक प्रकार का गुणसूत्र अर्थात (22+X) तथा (22+X) वाले अंडाणु पाए जाते हैं।nishechaan के समय यदि अंडाणु X गुणसूत्र वाले शुक्राणु से मिलता है तो Zygote में 23th जोड़ी XX होगी और इससे बननेवाली संतान Girl होगी।
- इसके विपरीत किसी अंडाणु से Y गुणसूत्र वाला शुक्राणु निषेचित होगा तो XY गुणसूत्र वाला Zygote बनेगा तथा संतान Boy होगा । पुरुष का गुणसूत्र संतान में लिंग निर्धारण के लिए उत्तरदायी है।
नोट: Parak नाली शिशु के मामले मे nishechaan parak नाली के अन्दर होता है ।
शिशु का पितृत्व स्थपित करने के लिए DNA फिंगर प्रिंटिंग तकनीक का उपयोग किया जाता है ।