भारतीय परमाणु अनुसंधान
डॉ. होमी J. भाभा की अध्यक्षता में 10 अगस्त 1984 को परमाणु ऊर्जा आयोग की इस्तापाना के साथ ही परमाणु ऊर्जा अनुसंधान की भारतीय यात्रा आरंभ हुए ।
भारत के प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में परमाणु ऊर्जा कार्यक्रमों के कार्यान्वयन हेतु अगस्त 1954 में परमाणु ऊर्जा विभाग की तत्वाधान में किए जाते हैं। परमाण्विक ऊर्जा विभाग प्रधानमंत्री कार्यालय के प्रशासन के अधीन हैं।
परमाणु अनुसंधान एवं विकास के प्रमुख केंद्र
- भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र : (BARC) Trambe (मुंबई ) में स्थपित भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) परमाणु विज्ञान एवं सम्बंध क्षेत्र मे कार्यरत देश का प्रमुख अनुसंधान केंद्र है । BARC परमाणु विद्युत कार्यक्रम तथा उद्योग एवं खनिज क्षेत्र की इकाइय अनुसंधान एवं विकास में सहायता प्रदान कर्ता है । इस केंद्र ने उद्योग, ओषधि तथा कृषि के क्षेत्र मे रेडियो, isotop के चिकित्ससिय उपयोगों सहित परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण कार्यों me उपयोग की प्रौद्योगिकी का विकास किया है ।
- प्रायोगिक रिएक्टरों को जीरो पावर रिएक्टर भी कहते है क्योंकि इसका इस्तेमाल ऊर्जा प्राप्ति की अपेक्षा नाभिकीय अनुसंधानों के लिए खास तोर से किया जाता है ।
- कनाडा के सहयोग से बार्क (BARC) मे स्थपित Sairas तापीय रिएक्टर का मुख्य उद्देश्य रेडियो isotop का उत्पादन एवं उनके प्रयोग को प्रोत्साहित करना है ।
- धुव्र अनुसंधान रिएक्टर me रेडियो isotop तैयार करने के साथ साथ परमाणु प्रौद्योगिकी एवं पदार्थों में शोध पर कार्य किया जाता है ।
परमाणु परीक्षण
18 मई 1974 में पोखरण (जैसलमेर- राजस्थान ) में भारत ने स्वदेशी पहला परीक्षण परमाणु विस्फोट किया । यह बम 12 किलो टन क्षमता का था । इसका कोड नाम “Smiling budha ” था।
पहले परीक्षण के 24 वर्षों के बाद पोखरण में दूसरी बार 11 मई व 13 मई 1998 को परमाणु परीक्षण किया गया, जिसे शक्ति-98 नाम दिया गया ।
शक्ति-98 योजना की सफलता का श्रेय तीन वैज्ञानिकों को संयुक्त रूप से जाता है 1. आर चिदम्बरम , 2.A.P.J.अब्दुल कलाम, 3.अनिल kakodkar.
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