
जीव विज्ञान (Biology) यह विज्ञान की वह सखा है, जिसके अंतर्गत जीवधारियों का अध्ययन किया जाता है।

- Biology(जीवन विज्ञान) – Bio का अर्थ- जीवन (Life) और logos का अर्थ है-अध्ययन (Study) अर्थात जीवन का अध्ययन ही Biology कहलाता है।
- जीवन विज्ञान सब्द का प्रयोग lamarck(फ्रांस)और treviranus (जर्मनी) नामक वैज्ञानिकों ने 1801 में किया था।
- जीवन विज्ञान का एक क्रमबद्ध ज्ञान के रूप मे विकास प्रसिद्ध ग्रीक दार्शनिक Aristotle 384-322BC के काल में हुआ।उन्होने ही सर्वप्रथम पौधों और जंतुओं के जीवन के विभिन्न पक्षों के विषय में अपने विचार प्रकट किए। इसलिए Aristotle को जीव विज्ञान का जनक Father of BIOLOGY कहते हैं।इन्हें विज्ञान का जनक FATHER OF ZOOLOGY भी कहते हैं।

- जीवधारियों का वर्गीकारण
- अरस्तू द्वारा समस्त जीवों को दो समूहों में विभाजित किया गया-1 जंतु समूह ,2. वनस्पति समूह.
जीवधारियों का पांच जगत वर्गीकरण (जीवन विज्ञान)
1.Monera: इस जगत में सभी prokeriyotik जीव अर्थात जीवाणु, sainobacteria और arki bacteria सम्मिलित किये जाते हैं। तन्तु mai जीवाणु भी इसी जगत के भाग है।
2.Protista: इस जगत में विविध प्रकार के akkosikiy ,जालिय yukeriyotics जीव सम्मिलित किये गये है । पादप और जंतु के बीच स्थित yuglin इसी जगत में है। ये दो प्रकार की जीवन पद्धति प्रदर्शित करती है । – सूर्य के प्रकाश में स्व पोषित एवं प्रकाश के अभाव में etar पोषित इसके अंतर्गत साधारणतया protojoa आते है।
3. पादप: इस जगत में। प्रायः सभी रंगीन बहु कोशिकाएं प्रकाश Sasleshi उत्पादक जीव सम्मिलित हैं । शैवाल, moss पुष्पि या तथा anu पुष्पि या बि जिया पौधे इसी जगत के अंग है।
4. Fungi: इस जगत में वे yukeriyotics व parposit जीव धारी सम्मिलित किये जाते है। जिनमें अवशोषण द्वारा पोषण होता है। इसकी कोशिका भीति कैंटीन नामक जटिल सर करा की बनी होती है।
5. जंतु: इस जगत में सभी बहु कोशि किय जंतु सम भो जी ,yukeriyotic उपभोक्ता जीव सम्मिलित किये जाते है। इनको metazoa भी कहते है । Haidra, jelifish kirmi, सितारा, मछली , sarisrip, उभयचर ,पक्षि तथा estandhari जीव इसी जगत के अंग है।
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